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Chapter 41: त्याग ( पार्ट 41)

सोवी बस अर्ध मूर्छित अवस्था में जा पहुंचा सोवी की पीड़ा उस पर गुस्से के रूप में हावी हो चुकी थी उसने उन काली आत्माओं और उन हैवानों से अपनी अध्यात्म शक्ती से लड़ना शुरू किया , थोड़ी ही देर में स्वान कबीले का दूसरा विधार्थी , असली राजकुमारी को आजाद करके वहा पहुंच गया वो राजकुमारी भी अध्यात्म शक्ति से निपुण थी। सबने मिल कर बुरायी का सामना किया और अंत में वही होना था की सच्चाई की बुराई पर विजय हुई , लावोमेंन के कबीले वालो ने भी चैंग के खिलाफ लड़ाई की । अंततः चैंग को कैद कर लिया गया और लावोमेंन कबीले की असली राजकुमारी ने अपने भाई को भी आजाद करवा लिया, शिन जुई को 9 साल का राजकुमार मिल गया जिसे बचाने के लिए वो आई थी। सोवी को स्वान कबीले की पुस्तक तो सही सलामत मिल गई लेकिन जियान ने अपनी अध्यात्म शक्ती खो दी थी, यानी की सोवी को उसे बचाने में देर हो चुकी थी उन हैवानों ने जियान की स्पिरिट को छीन लिया था। लावोमेंन की असली राजकुमारी ने कबीले के आनुवाशिक कबीले के इमानदार सैनिकों को फिर से तैनात किया।

जियान को अभी भी होश नहीं आया था और सोवी स्तब्ध जियान के पास बैठा था वो जानता था कि बिना स्पिरिट के जियान 90 दिन से ज्यादा नही जी सकता है एक योद्धा के लिए उसकी स्पिरिट , योद्धा होने की पहचान थी, सोवी को बस जियान कि बाते याद आ रही थी वो अक्सर बोलता था कि वो एक योद्धा है । सोवी के आंख में बस जियान के लिए आसू थे और शिन जुई अपने मास्टर के लिए दुखी थी।

लावोमेंन की राजकुमारी ने सोवी से कहा सुबह होने वाली है हमे राजकुमार जियान को अंदर कछ में ले जाना चाहिए ताकि तत्काल उनका इलाज किया जा सके और वो होश में आ सके । जियान को अंदर महल में ले जाया गया लावोमेंन के सबसे कुशल चिकित्सक जियान का ईलाज करने आए। शिन जुई और स्वान कबीले के दो अन्य विधार्थी भी जियान के लिए परेशान थे तभी सोवी ने राजकुमारी से कहा मुझे आपसे कुछ बात करनी है। सोवी की बात सुन कर राजकुमारी ने सभी को बाहर जाने के लिए कहा, लेकिन सोवी ने शिन जुई को रोक लिया।

राजकुमारी ने कहा_ मैं आपकी क्या सहायता कर सकतीं हूं आपने मेरे और मेरे कबीले के लिए बहुत कुछ किया है मै आपके जरा भी काम आऊ तो ये मेरा सौभाग्य होगा।

सोवी ने कहा सातवी मायावी पहाड़ी पर जो गांव स्थित है वहा की वैध है जो बहुत मशहूर है लोग उनको बूढ़ी मां बोलते हैं , क्या आप उनको बुला सकती है । शिन जुई समझ गई थी कि सोवी उन्ही बूढ़ी मां की बात कर रहा है जिन्होंने उन लोगों की सहायता की थी।

राजकुमारी ने विनम्रता से कहा , हां और फौरन अपने शाही सिपाही को उनको लाने भेज दिया और दोपहर तक वो उस वैध को लेकर आ गए। जियान को बेहोश देख कर उनको बहुत दुख हुआ उन्होने जियान के सर पर हाथ रखते हुए कहा मेरे बच्चे तुम जल्दी से होश में आ जाओगे ।

सोवी ने कहा मुझे आपसे कुछ चाहिएं मां। शिन जुई और राजकुमारी दोनो ही वही खड़ी थी ।

सोवी के आंख में आसू थे और उसने रोते हुए बूढ़ी मां से कहा मैं चाहता हूं कि आप मेरी स्पिरिट निकाल कर जियान को दे दीजिए और मैं ये जानता हूं कि आप ये कर सकतीं हैं आपके पास अध्यात्म दुनिया की शक्ती है। आप मेरे लिए बस इतना कर दीजिए,मै जीवन भर आपका आभारी रहूँगा! मैं जियान को मरते हुए या फिर बिना आध्यात्म शक्ती के घुट घुट कर जीते हुए नही देख सकता हूं।

सोवी की बात सुन कर , शिन जुई और राजकुमारी दोनो दंग रह गए शिन जुई ने कहा मास्टर आप ये क्या बोल रहे हैं? बिना स्पिरिट के तो आप भी ज्यादा दिन नहीं रह सकते हैं ये तो वही बात हुई कि हम हर हाल में किसी को खोएंगे जरूर।

बूढ़ी मां ने कहा ये करना इतना आसान नहीं है स्पिरिट निकालते समय तुम्हे असहनीय पीड़ा होगी। और किसी स्पिरिट का स्थानातरण करने से मृत्यु तक हो सकती है! अगर तुम उस क्रिया की पीड़ा को बर्दाश्त नही कर पाए तो तत्काल तुम्हारी मौत हो सकती हैं!

सोवी जियान को देख कर बोले जा रहा था कि मुझे परवाह नहीं है बस मैं जियान को पहले जैसा देखना चाहता हूं, बिना उसके मै जिंदा नहीं रह सकता हूं मेरी स्पिरिट उसके पास है कम से कम मै इतना सोच कर मर तो सकता हूं।

शिन जुई ने रोते हुए कहा लेकिन मास्टर जियान को जब पता चलेगा,,,,,,, शिन जुई की बात पूरी होती उससे पहले ही सोवी ने उसे रोकते हुए कहा, नही जियान को नही पता चलना चाहिए और सोवी ने शिन से कहा कि तुम मेरे जीते जी जियान से इसके बारे में कुछ नही कहोगी और उसने राजकुमारी और बूढ़ी मां से भी वचन ले लिया की वो कभी जियान को स्पिरिट के बारे में कुछ नही बोले।

सोवी की बात को सुन कर वहा मौजूद शिन जुई, राजकुमारी और बूढ़ी मां सभी रो रहे थे क्युकी दोनो में से किसी एक को खोना पड़ता लेकिन सोवी की जिद के आगे वो मजबूर थी । बूढ़ी मां ने कहा तुम्हारे जन्म के समय मैं तुम्हारी मां के साथ थी तुमको अपने हाथो में लिया था मैने आज कैसे उन्ही हाथो से राजुकमार सोवी की जिंदगी ले लूं । वो रो रही थी जियान के साथ साथ सोवी के लिए भी।

अंततः शाम होने वाली थी बूढ़ी मां ने शिन जुई और राजकुमारी से कहा कछ में तुम दोनो के अलावा कोई नही रह सकता है और सोवी से कहा कि जियान का हाथ पकड़ कर बैठ जाओ और तब तक मत उठना जब तक जियान को पूरी तरह से स्पिरिट मिल न जाय वरना अध्यात्म शक्ती भटक सकती हैं , इसके बाद बूढ़ी मां ने अपनी अध्यात्म शक्ति को जागृत कर सोवी की स्पिरिट को जियान में स्थानांतरण करना शुरू किया , सोवी को बहुत पीड़ा हो रही थी वो दर्द से चीख उठा , जेसे कोई उसके अंदर से उसकी आत्मा को खींच रहा हो उसके मुंह से खून निकलने लगा लेकिन सोवी ने जियान का हाथ नही छोड़ा।

कुछ समय के पश्चात सोवी बेहोश हो गया उसकी अध्यात्म शक्ति जियान के अंदर जा चुकी थी और उसके पास जीने के लिए बस चंद दिन बचे थे । शिन जुई की आंख में आसू थे ।

सोवी के त्याग ने साबित कर दिया था कि दुनियां में प्यार एक ऐसे भावना है जो इंसान से कुछ भी करवा सकती हैं फिर चाहे वो प्यार किसी चीज, मां , भाई बहन या फिर हमसफर किसी से भी क्यों न हो। दुनियां भले ही दो लड़के के रिश्तों को नही अपनाती लेकिन सोवी ने आज ये दिखा दिया कि भावनाएं प्राकृतिक होती हैं और वो किसी के लिए भी हो सकती हैं!


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