Download App
66.66% hindi kahani

Chapter 3: किसान

   सर्दियों के दिन थे और आँगन मे धूप खिल रही थी, ये देह को जलाने वालीं नहीं परन्तु सर्द मे राहत देने वालीं गर्मी थी.

आंगन में दो बच्चे अपनी ही मस्ती मे खेल रहे थे, मुस्किल से दोनों बच्चों की उम्र 4 से 5 साल होगी, मिट्टी में लॉट पोट

हो रहे थे, एक बच्चा दूसरे बच्चे से कहता देख एसे गुलाटी मार के दिखा दूसरा कहता तू एसे कूद के बता, कभी दोनों मिलके दोड़ ने लगते, गिर जाते तो दोनों जोर से हसने लगते, कभी चुप रह कर इधर उधर देखते तो कभी जोर से चिल्लाते.

उनकी माँ राधा सब देख कर खाना पका रही थी, चुल्हे की आग से उसे गर्मी हो रही थी, कभी धुयें से आखें जलती, जादा धुआं होता तो फूँक मार मार के चूल्हा जलाती, दोनों बच्चों को देख के आखों में बर्फ से ज्यादा ठंडक मिल रही थी. बचों को देखते देखते खाना बन गया.

उसके बाद दोनों बच्चो को नहलाने के लिए उनको बुलाने लगी पर दोनों बच्चो को मस्ती करनी थी वो माँ की कहा सुनते? राधा उन्हें पकड ने गई तो इधर उधर भाग ने लगे

उनको इस खेल मे और भी मज़ा आने लगा माँ पकड़ती तो छूट के फिर भाग जाते, फ़िर माने पकड के दोनों को नहलाया.

दोपहर हो चुकी थी बचों के पिता किशनलाल खेत मे काम कर के आने का वक़्त हो चला था, दोनों बचो के साथ खेलते खेलते राधा उनका इंतजार कर रही थी, खेत मे ही उनका घर था तो वहीं किशनलाल खेत मे काम करते खाने का वक़्त होता तो घर आ जाते,

किशनलाल की गाँव मे बड़ी इज्जत थी, क्योंकि मन लगाकर खेत मे काम करता और जमीन से सोना निकाल ता था, दान पुर्ण मे भी आगे रहता, गाँव में वो ही एक एसा किसान था जिनके सर पे उधार का बोझ ना था.

  किशनलाल घर आये तो राधा डॉल मे पानी देते बोली मुह हाथ धों लो,आपके दोनों बेटे शैतानी कर ने लगे हे, माँ को परेशान करने का मौका नहीं छोड़ते, नहाने के लिये पकड ना पड़ता हे, दोनों बच्चो को देख कर माँ खुशी से शिकायत कर रही थी, और दोनों बच्चे जेसे पिता हाथ मुह धों ले तो जाके लिपट जाने की राह देख रहे थे, और फिर दोनों पिता से लिपट गये, पिता ने बचो को गोद मे उठाया और क्यू माँ को परेशान करते हो? माँ मारेगी तो फिर रोने लगेगें.

राधा ने खाना निकाल दिया और पूरा परिवार खाने बेठे थे, बचों को खाते देख राधा और किशनलाल खूब खुश थे,

संसार का सबसे सुखद चित्र था...एसे ही हसी खुशी दिन बीत रहे थे, बचा बीमार पड़ता तो किशनलाल और राधा का जी हलक मे अटक जाता, दोनों ही माता पिता होने ज़िम्मेदारी हसी खुशी उठा रहे थे.

    बरसातों का मौसम आ गया था इस बार भी किशनलाल ने खेत मे फसल बोई थी फसल हर साल की तरह लहरा रही थी, किशनलाल खेत में अपनी फसल के साथ अपना जी बोता था, उतना ही कठिन परिश्रम कर ता था.

वहीं दूसरी और उनके गाँव मे किसानो के खाने के भी लाले थे, वो भी परिश्रम करते थे मगर कर्जे मे डूबे थे, सारी कमाई कर्जे में जाति, कर्जे से निकले के लिए और कर्जे लेने पड़ते, घर के ख़र्चे त्यौहार मानो किसान कर्जे मे डूबा रहता और उन्हें अपनी पाक की सही कीमत भी तो न मिलती थी? ,

कई बार पेट भरने के लिए किसानो को दूसरे के खेत मे काम करना पड़ता, मजदूरी करनी पड़ती...

इस साल बारिस इतनी हुई पूरा गाँव मानो नदी बन गया,

सबकी फसल पानी मे बर्बाद हो गई, किशन लाल की भी फसल बर्बाद हो गई, ईश्वर की दुआ से राधा और बचों को कुछ नहीं हुआ, कुछ रकम जमा थी किशनलाल के पास सोचा गुजारा हो ही जाएगा, थोड़ा उधार ले लूँगा, पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था उनका छोटा बेटा बीमार हो गया वैद को दिखाया, वैद ने कहा शहर ले जाना होगा

यहां राधा का रो रो के बुरा हाल था.

पार्ट 2 coming soon

Instagram

Rocky_christian80


Load failed, please RETRY

Weekly Power Status

Rank -- Power Ranking
Stone -- Power stone

Batch unlock chapters

Table of Contents

Display Options

Background

Font

Size

Chapter comments

Write a review Reading Status: C3
Fail to post. Please try again
  • Writing Quality
  • Stability of Updates
  • Story Development
  • Character Design
  • World Background

The total score 0.0

Review posted successfully! Read more reviews
Vote with Power Stone
Rank NO.-- Power Ranking
Stone -- Power Stone
Report inappropriate content
error Tip

Report abuse

Paragraph comments

Login