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Chapter 2: बेहोश

पंक्ति जल्दी से उन लोगों के पीछे जाने लगती है। मार्केट में भीड़ बढ़ती जा रही थी। वो जेसे जेसे आगे जा रही थी कि तभी पीछे से कोई जोर से पंक्ति सिर पर मार देता है

पक्ति जेसे ही पीछे देखती है तो एक मास्क वाला लड़का खड़ा था। वो अपने सिर को पकड़ कर दर्द से कहराहते हुए " आह।"

अगले ही पल पंक्ति की आंखे बंद होने लगती है वो जेसे ही गिरने वाली थी वो लड़का एक दम से पंक्ति को पकड़ लेता है। अब वो उसकी बाहों में झूल रही थी।

अब तक आपने पढ़ा पंक्ति को कोई अंजान शक्श किस कर के चला गया और इन्ही सब मे किसी ने उसके सर पर वार किया और वो बेहोश होने लगी लेकिन दो मजबूत हाथो ने आकर उसे थाम लिया.... l

अब आगे... 

पंक्ति इस वक्त एक अनजान शक्श की बाहों में झूल रही थी । वही उस अनजान की शक्श की आंखे बिलकुल काली गहरी थी जो इस वक्त पंक्ति के चेहरे को देख रही थी । 

कुछ देर बाद .....

एक सुनसान सड़क पर एक लड़की बेहोश पड़ी थी । वो पेट के बल बेहोश पड़ी थी जिससे उसका चेहरा सड़क को छू रहा था ।

तभी एक दम से कोई उस लड़की को सीधा करता है ।और अपनी बॉटल से उसके चेहरे पर पानी छिड़कते हुए : हेलो ... हे उठो...

ये और कोई नही पंक्ति थी । वो अपने लंबे हाथो से सिर को पकड़ लेती है और दर्द से कहराहते हुए : आह ....

मेरा इतना सिर क्यू दर्द हो रहा है । वो जेसे ही आंखे खोलती है तो सूरज की किरने के एक दम से पंक्ति के चेहरे पर पड़ती है और वो अपनी आंखे झट से बंद कर लेती है ! 

तभी उसके कानो में एक आवाज सुनाई देती है : आप यहां बेहोश केसे हुई ।

पंक्ति अपनी आंखे जेसे ही खोलती है तो देखती है सामने एक लड़की खड़ी है ! 

और धीरे से खड़े होते हुए : मुझे नही पता ।

वो हैरानी से चारो तरफ देखने लगती है । वहा सिर्फ सुनसान जगह ही थी । 

लेकिन उसकी नजर पीछे एक बड़े से विला पर जाति है जिस पर लिखा था दीवान मैंशन ! 

तभी पंक्ति की नजर उस लड़की की व्हाइट ड्रेस पर जाति है जिस पर एक बैच था : Ɖฬ 

पंक्ति धीरे से : आप ? 

वो लड़की झट से : मै इस मैंशन में काम करती हु । देखिए ये मेरा बैच है दीवान वर्कर का ! 

पंक्ति हा में सिर हिला देती है और अगले ही पल जेसे ही वहा से जाने लगती है तो उसके कदम एक दम लड़खड़ाने लगते है । वो नीचे गिरती इससे पहले वो लड़की उसे पकड़ते हुए : ठीक है आप .....

वो खुद को उस लड़की से दूर करते हुए : हा मै ठीक हू ..... और अगले ही पल वो अपने छोटे छोटे कदमों से वहा से जाने लगती है ।

और सूरज की तरफ देखते हुए खुद से कहती है : कोन था वो शक्श , आखिर मै दीवान मैंशन के पास केसे पहुंची । 

वो किस , कमर पर हाथ रखना , मेरे सिर पर वार करना , क्यों मुझे ये सब एक साजिश लग रही है , क्या मुझे कोई मारना चाहता है या फिर मुझे कोई डराना चाहता है , क्या खेल खेल रही जिंदगी ! 

पंक्ति अपनी ही सोच में घूम थी तभी उसे लगता है की उसके पीछे कोई है । वो झट से पीछे मुड़ती है तो वहा पर कोई नही था ।

क्यों मुझे ऐसा लग रहा है कोई मुझे घूर रहा है ।

अब पंक्ति अपनी ही उलझनों में थी वो खुद से कहते हुए किसी रोड पर चलने लग गई थी : क्या कोई बदला ले रहा है लेकिन क्यों .... मेने तो आज तक किसी का कुछ बुरा किया ही नहीं ....

कुछ देर बाद .....

वो एक छोटे से घर के सामने आ गई थी । घर दिखने में बिल्कुल सिंपल था । बाहर से व्हाइट कलर हुआ था लेकिन मॉडर्न था ।

बाहर गार्डन भी था जिसमें साइड में कुछ सब्जियां और फूल लगे हुए थे । जो इस छोटे से घर को खूबसूरत बना रहे थे । 

वो घर की डोरबेल बजाती है तो अंदर से एक आवाज आती है ; कोन है ! पंक्ति तुम हो क्या  ? 

पंक्ति कुछ जवाब नही देती ।

वही अगले ही पल एक दम से डोर ओपन हो जाता है तो सामने एक  औरत खड़ी थी जिसने इस वक्त सिंपल सी साड़ी पहन रखी थी । वो भी स्लिम थी । और बालो की चोटी बना रखी थी ।

वो कुछ कुछ पंक्ति की तरह लग रही थी ।

वो और कोइ नही पंक्ति की मॉम ( रूही ) थी । उनकी आंखे एक दम से हिरानी से बड़ी हो जाती है : पंकु ये क्या हुआ है ; बच्चे चोट केसे लगी ! बोलो कुछ पंकू ! ये सिर पर खून ! कपड़ो पर मिट्टी कैसे लगी है ! 

पंक्ति बहुत ही नाजुक थी कुछ होता था तो सबसे पहले अपनी मम्मा के पास आती थी । लेकिन आज वो कोई जवाब नही दे रही थी ।

रूही जी पंक्ति को अंदर ले जाती है और जल्दी से दरवाजा बंद करते हुए उसे काउच पर बिठा देती है : कुछ बोलोगी अब ? क्या हुआ है बच्चे .

पंक्ति रूही जी की आवाज को सुनते हुए होश में आती है और अपनी प्यारी से आवाज में पूछते हुए : मम्मा अगर मार्केट की भीड़ में कोई आपको पूरी मार्केट के सामने कमर पर हाथ रख कर । गाल पर किस कर जाए .....

तो क्या करना चाहिए ! 

रूही जी जेसे ही ये सुनती है तो हैरानी से पंक्ति को देखते हुए : किसने किया ये बच्चे ! मम्मा को बताओ ....

पंक्ति की आंखो में आंसू आ जाते है : वही एहसास जिसे मेने अपने दिल में दफन करके रखा ! वो काली रातें जिससे डरती रही मम्मा !

मेरी चीखे उस रात गूंजती रही लेकिन कोई नही था मम्मा ! 

कोई अनजान शक्श मुझे किडनैप करता है उस रात की तरह लेकिन यहां मेरा रेप होने की कोशिश नही हुआ मम्मा ! यहां मुझे बेहोश करके सबसे बड़ी रिच फैमिली के विला के बाहर फैंक गया मम्मा !

पंक्ति इससे आगे कुछ बोलती वो एक दम से रूही जी के गले लग जाती है । उसके बाल इस वक्त चेहरे के आगे थे । 

वो आगे कहती हुए : मम्मा जिस शहर को हम बदनामी की वजह से छोड़ कर आए ! खुद को बदलने लगे क्या वही मेरे पीछे फिर से आ गया है ।

रूही जी पंक्ति के आंसू को अपने दुप्पटे से साफ करते हुए : मेरे बच्चे इस बार अगर वही हुआ तो तुम्हारी मम्मा उसे जान से मार देंगी तुम्हारे लिए ! 

पंक्ति ना में सिर हिलाते हुए : मम्मा पापा को खो दिया उस रात अब आपको नही खोना चाहती ! मै मर जाऊंगी लेकिन आप पर आंच नहीं आने दूंगी ! 

और अगले ही जेसे ही पंक्ति रूही जी की आंखो में आंसू देखती है तो खुद के आंसू को झट से साफ करते हुए : मै भी ना खुद भी इमोशनल हो जाती हु और आपको भी कर देती हु ...

और अगले ही पल मुस्कुराते हुए : मै शावर लेकर आई मम्मा ! 

रूही जी अपने मन में : दर्द छुपाना सिख रही हो मेरी बच्ची ! लेकिन मै उन लोगो। को छोडूंगी नहीं ! 

वही पंक्ति की नजर उसकी डायरी और फोन पर पड़ती है तो अपनी आंखे गहरी करते हुए : ये ...मम्मा ये कहा से आया .....

आखिर क्या हुआ था पंक्ति के साथ ? केसे वो पहुंची दीवान मैंशन ? कोन है जो ये सब कर रहा है ? आखिर किसने कोशिश की पंक्ति के साथ रेप करने की ! किस वजह से खो दिया पंक्ति ने अपने पापा को ? केसे आई वो डायरी और फोन घर ! जानने के लिए पढ़ते रहिए 


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